BED Good News: बीएड अभ्यर्थियों के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर बड़ी और महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। लंबे समय से प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने की मांग कर रहे बीएड अभ्यर्थियों के लिए यह एक नई उम्मीद लेकर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को एक अहम फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि बीएड अभ्यर्थी कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए अयोग्य हैं। इस फैसले का मुख्य कारण बीएड के सिलेबस में बेसिक और पेडागॉजिकल शिक्षा की कमी को बताया गया था।
हालांकि, अब वर्ष 2025 की शुरुआत में एक और बड़ा अपडेट सामने आया है। बीएड अभ्यर्थियों के पक्ष में पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटीशन) दायर किए जाने की तैयारी हो रही है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर पुनर्विचार की मांग करेगी, जिसमें बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक विद्यालयों के लिए अनुपयुक्त करार दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 11 अगस्त 2023 के आदेश में कहा था कि बीएड पाठ्यक्रम में एलिमेंट्री शिक्षा और पेडागॉजिकल ट्रेनिंग का समुचित समावेश नहीं है। इसलिए, बीएड अभ्यर्थियों को कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित नहीं माना जा सकता।
कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया था कि बीएड का पाठ्यक्रम मुख्य रूप से माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा के लिए डिजाइन किया गया है, जबकि डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) विशेष रूप से प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने के लिए उपयुक्त है।
अब क्या है ताजा स्थिति?
वर्तमान में, बीएड अभ्यर्थियों के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस याचिका में बीएड सिलेबस को लेकर सवाल उठाए गए पुराने फैसले पर पुनर्विचार की मांग की जाएगी।
यदि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका को स्वीकार करता है, तो इस पर सुनवाई के बाद नए सिरे से निर्णय लिया जा सकता है। संभव है कि सुप्रीम कोर्ट बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक विद्यालयों में सम्मिलित करने के लिए कुछ संशोधनों के निर्देश दे। हालांकि, यह सब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।
बीएड अभ्यर्थियों की मांग
बीएड अभ्यर्थी लंबे समय से प्राथमिक विद्यालयों में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक प्रशिक्षण प्राप्त किया है और वे कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाने में सक्षम हैं।
आगे की संभावनाएं
- यदि पुनर्विचार याचिका स्वीकार होती है, तो सुप्रीम कोर्ट प्राथमिक विद्यालयों के लिए बीएड अभ्यर्थियों की पात्रता पर नए नियम तय कर सकता है।
- यह भी संभव है कि बीएड के सिलेबस में एलिमेंट्री शिक्षा और पेडागॉजिकल ट्रेनिंग जोड़ने का सुझाव दिया जाए।
- यदि याचिका खारिज होती है, तो बीएड अभ्यर्थियों के लिए यह निर्णय अंतिम हो सकता है।
निष्कर्ष
फिलहाल, बीएड अभ्यर्थियों के लिए यह एक निर्णायक समय है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और संभावित फैसले पर उनकी भविष्य की संभावनाएं निर्भर करती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक विद्यालयों में सम्मिलित होने का अवसर मिलेगा, या उनके लिए अलग से नई नीति बनेगी।
सभी बीएड अभ्यर्थियों के लिए यह समय धैर्य और सकारात्मकता बनाए रखने का है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय ही उनकी शिक्षक बनने की राह को तय करेगा।