OSI Model kya hai | OSI Model in Computer Network in Hindi

OSI model in Hindi: अगर आप student हैं तो OSI model एक बहुत ही महत्व पूर्ण topic है। इसीलिए आज हमं OSI model kya hai, 7 OSI model layers in Hindi और OSI model कैसे काम करता है, के बारे में पढनें वाले हैं।

इन सब की व्याख्या हमनें बहुत ही आसान शब्दों में की है। आप इस post को पूरा पढ़ें ताकि आप What is OSI model in Hindi के बारे में पूरा knowledge हो सके।

अगर आप technology के साथ जुड़े हैं तो आपनें कभी ना कभी OSI का नाम जरुर सुना होगा। आपकी जानकारी के लिए बतादूँ की जब technology अपने शरुआती phase में थी तो उस समय OSI model की शरुआत हुई थी।

OSI model की शरुआत कब हुई थी, कैसे हुई थी, इन सब के बारे में हमं आगे इस post में पढेगे। तो चलिए शरू करती हैं बिना किसी देरी के।

OSI model kya hai? What is OSI model in Hindi

  • OSI की full form Open System Interconnection होती है। यह एक तरह से reference model है, जिसके जरिये बताया जाता है की Information को एक computer में software application के माध्यम से physical medium के जरिये दुसरे computer की software application तक कैसे पहुचाया जाता है।
  • जैसा की आपको बताया की यह केवल reference mode है। इसका मतलब यह हुआ की वास्तव जीवन में इसका use नहीं किया जाता है।
  • OSI model में 7 layers यानि परतें होती हैं और हर layer का अपना network होता है, जिस पर वह कार्य करती है।
  • इसे ISO यानि International Organization for Standardization द्वारा 1984 में विकसित किया गया था।
  • OSI model में बताया गया है की हमं कैसे किसी network के जरिये data send और receive कर सकते हैं। इस प्रकार के model में हर layer का काम अलग-अलग होता है। जिसके कारण data एक computer से दुसरे computer तक पहुचता है।
  • इस model में 7 layers होती हैं, यह आपस में connect होती हैं। लेकिन यह layers एक दुसरे पर निर्भर नहीं रहती हैं।
  • यह worldwide communication network का ISO model है। इसे 7 layers द्वारा implement किया जाता है और यह networking framework को define करता है।

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OSI model in Hindi

Source-: OSI model का चित्र

Characteristics of OSI Model in Hindi

  • OSI model को दो भागों में बांटा गया है। सबसे पहली upper layer और दूसरी lower layer होती है।
  • Upper layer में mainly application related issues के साथ deal किया जाता है। यह केवल software में ही implement किया जाता है।
  • User के बिलकुल पास application layer होती है। जो user होता है, और application layer होती है, दोनों ही software application के साथ interact करती हैं। Upper layer में application layer, presentation layer, session layer आती है।
  • इन सब layers के बारे में हमं आगे विस्तार से जाननें वाले हैं, की यह काम क्या करती है, कैसे काम करती है।
  • अब दूसरी lower layer होती है। OSI model की इस layer में mainly data transport related issue के साथ deal किया जाता है। Data link layer और physical layer हार्डवेयर और सॉफ्टवेर पर implement होती है।
  • OSI model की सबसे lowest layer Physical layer होती है और यह physical medium के सबसे नजदीक होती है।
  • Physical layer के द्वारा ही information को physical medium में डालनें में responsible होता है।

इसे OSI layer क्यों कहा जाता है?

इस model को Open System Interconnection (OSI) इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इस model के जरिये दो devices को आपस में communicate करनें की अनुमति प्रदान की जाती है। चाहे उन devices का architecture कैसे भी हो।

OSI model में set of rules और logical functions को एक ग्रुप में कर देता है, जिसे protocols भी कहा जाता है। इनमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेर में कुछ change करनें की आवश्यकता नहीं पडती है।

Set of rules और logical function को एक ग्रुप में करना इसलिए भी जरूरी होता है ताकि 2 या 2 से ज्यादा devices के बीचे में connection बनाया जा सके। ताकि systems के साथ communicate किया जा सके।

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7 OSI model layers in Hindi

OSI model में 7 layers होती है। हर layer का अपना एक अलग function होता है। अभी तक आपनें OSI model kya hai, OSI full form in Hindi के बारे में तो जान ही लिया है।

यह 7 layers data को एक layer से दूसरी layer तक transmit करते हैं। इन 7 layers को 3 ग्रुप में divide किया जाता है। जिसे Network layer, transport layer, और application layer कहा जाता है।

चलिए अब जान लेते हैं 7 OSI model layers in Hindi कौन-कौन सी हैं।

  1. Physical Layer (फिजिकल लेयर)
  2. Data-Link Layer (डाटा-लिंक लेयर)
  3. Network Layer (नेटवर्क लेयर)
  4. Transport Layer (ट्रांसपोर्ट लेयर)
  5. Session Layer (सेशन लेयर)
  6. Presentation Layer (प्रेजेंटेशन लेयर)
  7. Application Layer (एप्लीकेशन लेयर)

1) Physical Layer (फिजिकल लेयर) in Hindi

  • Physical Layer का मुख्य काम या function हर एक bits को एक node से दुसरे node तक transmit करना होता है।
  • यह OSI model की सबसे lowest layer होती है।
  • Physical layer के जरिये फिजिकल और इलेक्ट्रॉनिक connection किये जाते हैं। इसी layer के जरिये फिजिकल और इलेक्ट्रॉनिक connection को maintain या deactivate करने की जम्मेदारी होती है। जैसे की वोल्टेज कम या ज्यादा करना आदि।
  • इसे layer 1 या हार्डवेयर लेयर भी कहा जाता है। इसमें अलग-अलग प्रकार के हार्डवेयर का use किया जाता है। जैसे की connectors, पॉवर केबल, रिसीवर्स, और ethernet cable, LAN cable आदि शामिल होते हैं।
  • Physical Layer हर data को bits में एक device से दुसरे device तक भेजा जाते हैं।
  • इस layer द्वारा ही 0 और 1 की encoding को परिभाषित किया जाता है।

Physical Layer के कार्य क्या होते हैं?

  • इस layer के जरिये data rate यानिकी sender द्वारा एक सेकंड में कितना bits data भेजा जाना चाहिए तय किया जाता है।
  • Physical layer synchronize तरीके से bits को send और receive करता है।
  • यह transmission medium को बतानें में help करता है की किस medium के जरिये data transfer करना है। Transmission medium जैसे की simples, half-duplex, और full-duplex medium का use कर सकते हो।
  • यह बताता है की दो या दो से ज्यादा devices physically आपस में कैसे connect हैं
  • यह दो type की कॉन्फ़िगरेशन Point to Point कॉन्फ़िगरेशन और Multi point कॉन्फ़िगरेशन provide करता है।
  • यह फिजिकल topology के decision में मदद करता है। physical topology जैसे की Bus, Star, Mesh, Ring topology।
  • यह sender और receiver के बीच में interface provide करता है।
  • Physical layer में hubs, ethernet, और रिसीवर्स आदि devices का use किया जाता है।

2) Data-Link Layer (डाटा-लिंक लेयर) in Hindi

  • OSI model in Hindi में data-link layer नीचे से दुसरे नंबर की layer होती है। इसे पैकेट यूनिट के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह लेयर error free data transfer के लिए जिमेदार होती है।
  • यह network में data के format को define करता है।
  • Data-Link layer के जरिये एक node से दुसरे node तक data transfer किया जाता है।
  • DLL के जरिये नेटवर्क लेयर और फिजिकल लेयर द्वारा भेजे गये data packets को encoding और decoding किया जाता है।
  • DLL OSI model की सबसे जटिल लेयर मानी जाती है। इसके जरिये हर device को unique identity प्राप्त होती है।

Data-Link layer में दो sub-layers होती हैं।

लॉजिकल लिंक कण्ट्रोल (Logical Link Control)

  • Data-Link layer की sub-layer LLC multiplexing से समन्धित है। यह layer जो भी डाटा पैकेट receive होता है उसे नेटवर्क लेयर में transfer करनें के लिए responsible है।
  • यह header से network layer के address की पहचान करती हैं।

मीडिया एक्सेस कण्ट्रोल लेयर (Media Access Control Layer)

  • यह लेयर लॉजिक लिंक कण्ट्रोल लेयर और नेटवर्क फिजिकल लेयर के बीच एक सम्पर्क बनानें का काम करती है।
  • इसके जरिये पैकेट्स को network layer पर transfer किया जाता है।

Data-Link Layer के कार्य क्या होते हैं?

  • Data- Link Layer, फिजिकल raw bit stream को छोटे-छोटे packets में convert करती है जिसे फ्रेम्स (frames) कहा जाता है। यह packets हमें network link layer द्वारा प्राप्त होते हैं।
  • हर फ्रेम को bit-by-bit convert करके physical layer तक पहुचाया जाता है। Frame को कहाँ जाता है इसका पता header को होता है।
  • DLL का सबसे मुख्य काम data flow को control करके रखना होता है। यह एक ऐसी technique है जिसके जरिये दोनों side constant data rate maintain किया जाता है, ताकि data corrupt ना हो।
  • इसके जरिये error control भी किया जाता है। Error को control करनें के लिए CRC (Cyclic Redundancy Check) को गणित के हिसाब से डाला जाता है।
  • CRC एक ऐसी जगह है जहाँ DLL के द्वारा message को frame के साथ जोड़ा जाता है। इसके बाद ही इस frame को physical layer तक पहुंचाया जाता है।
  • अगर कोइ error आ जाता है तो receiver के द्वारा corrupt frame को फिर से transmission के लिए कहा जाता है।
  • जब कभी भी एक ही connection के साथ बहुत से devices connect होते हैं तो टकराव की उच्च संभावना होती है। इस तरह के case में भी DLL का काम होता है की वह जाँच करें की कौन सा device data भेज रहा है। ताकि टकराव की स्थिति ना बन सके और frame का नुक्सान ना हो।

3) Network Layer (नेटवर्क लेयर) in Hindi

Network layer का काम एक device से दूसरी device तक data को transmit करनें का होता है। यह packets routing का भी देख रेख करता है।

जैसे की packets को भेजनें के लिए shortest path find करता है, अगर network layer के पास data transfer करनें के लिए बहुत से रस्ते उपलब्ध हो। इसकी वजह से traffic problem भी manage हो जाती है।

Network layer OSI model की तीसरी लेयर है। यह transport layer की service request को handle करता है और उस request को data link layer की तरफ transfer करता है।

इस लेयर के द्वारा logic address को physical address में convert कर दिया जाता है।

नेटवर्क लेयर द्वारा ही sender और receiver के IP address को जोडनें का काम किया जाता है और internet पर device को पहचाननें का काम भी इसी लेयर का ही होता है।

Network layer के कार्य क्या होते हैं?

  • Network layer protocols decide करते हैं की data को एक source से दुसरे destination तक किस route से लेकर जाना है। नेटवर्क लेयर के इस function को routing कहा जाता है।
  • इसकी main जिम्मेंदारी अलग-अलग devices के बीच connection provide करना होता है।
  • नेटवर्क लेयर हर device को एक unique IP address प्रदान करती है।
  • Header में source code और destination address को network layer द्वारा add किया जाता है। यह एक unique address होता है, जिसका इस्तेमाल device को identify करनें के लिए किया जाता है।
  • जैसा की आपको पता होगा की data link layer में physical address को implement किया जाता है और network layer में logical address को implement किया जाता है।
  • Network layer का मुख्य काम अलग-अलग network के बीच logical connection को बनाने का भी होता है।
  • यह layer packets को छोटे-छोटे individual data units में convert कर देता है और इन data units को अलग-अलग networks के जरिये भेजा जाता है।

अभी तक आपनें OSI model kya hai, OSI model in Hindi, OSI model ka full form जान चुके हो। अब हमं OSI model layers in Hindi के बारे में जान रहें हैं। आगे हमं Transport layer in Hindi को cover करनें वालें हैं।

4) Transport Layer (ट्रांसपोर्ट लेयर) in Hindi

ट्रांसपोर्ट लेयर OSI model की 4th layer है। इसका मुख्य काम अलग-अलग host पर चल रही applications को सीधा संचार प्रदान करना होता है।

Transport layer अलग-अलग host में चल रही applications को logical communication provide करती है। वैसे तो applications की process अलग-अलग host में होती है, यह host physically connect नहीं होते हैं।

Applications processing के लिए logical communications का use करती हैं, जिसे transport layer द्वारा provide किया जाता है। इसके जरिये ही message का आदान और प्रदान होता है।

ट्रांसपोर्ट लेयर protocols अंतिम system पर ही लागु होता है, लेकिन routers पर यह लागू नहीं होता है।

Computer network एक से ज्यादा protocols network applications को provide करवाते हैं। जैसे की UDP और TCP, यह दोनों transport layer protocols है, जो अलग-अलग प्रकार की services network layer को प्रदान करते हैं।

सभी ट्रांसपोर्ट लेयर प्रोटोकॉल्स multiplexing और demultiplexing service provide करवाते हैं। इसके अलावा कुछ और services भी provide करवाई जाती हैं, जैसे की भरोसेमंद data transfer, और bandwidth.

Transport layer यह भी सुनश्चित करती है की जो data packets जिस क्रम में भेजें हैं, उसी क्रम में प्राप्त होनें चाहिए।

Transport Layer के कार्य क्या होते हैं?

  • Transport layer हर message को गंतव्य तक पहुचाती है। यह सुनिश्चित किया जाता है की source से destination तक सभी भेजे गये message की delivery end-to-end हो रही हो।
  • इसी के साथ ही ट्रांसपोर्ट लेयर खोए हुए और क्षतिग्रस्त packets को retransmit करके reliable service प्रदान करती है। भरोसेमंद delivery का मतलब error control, sequence control, loss control, Duplication control से होता है।
  • Reliability delivery में सबसे मुख्य role error control का है। अगर हमं वास्तविकता की बात करें तो कोइ भी transmission 100 प्रतिशत error free delivery नहीं कर सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए transport layer को design किया गया है ताकि error free transmission उपलब्ध करवाया जा सके।
  • वैसे तो data link layer में भी error handling mechanism होता है, लेकिन यह सिर्फ node-to-node error free delivery को सुनिश्चित करता है।
  • Transport layer सुनिश्चित करती है की भेजनें वाले छोर से प्राप्त packets का उपयोग दूसरी layers द्वारा भी किया जा सकते।
  • इसके अलावा transport layer यह भी सुनिश्चित करती है की जो भी छोटे=छोटे packets अपनें गंतव्य तक पहुंच सकें।
  • जैसे ही छोटे-छोटे पैकेट्स को transport layer द्वारा भेजा जाता है तो सभी packets को एक sequence number दिया जाता है। जिसके जरिये transport layer को missing packets का पता लगा सकती है।
OSI model kya hai

5) Session Layer (सेशन लेयर) in Hindi

Session layer OSI model की पांचवी लेयर है। इसका काम data साझा करनें के लिए system के बीच connection को बनाये रखना और नियंत्रण करना होता है।

सेशन लेयर सभी channels पर connection स्थापित, maintain, और session को खत्म करना होता है।

जबभी कभी किसी प्रकार का network error आ जाता है तो यह active session की authenticity check करता है। मुख्य रूप से इस layer का काम कब computer को data send करना है, और कितना data send करना है इसे regulate करना होता है।

Session Layer के कार्य क्या होता हैं?

  • सेशन लेयर devices के बीच में connections स्थापित करती है, जिसे session कहा जाता है। इस सेशन के create होनें से users को data share, file management, और remote access प्रदान किया जाता है।
  • इस layer के जरिये system के बीच में data transfer को संभालना बहुत ही basic function है। यह transmission half-duplex या full-duplex mode में हो सकता है।
  • Session द्वारा systems को एक बेहतरीन connectivity प्रदान की जाती है। इसी बीच अगर कोइ error आता है तो एक recovery option भी provide किया जाता है, जिसे state कहा जाता है।
  • पहचान की प्रक्रिया को authentication कहा जाता है। यह user से data तक पहुंचनें की अनुमति लेता है। Authentication बहुत ज्यादा important है क्यूंकि यह security प्रदान करता है।
  • Session layer users की पहचान करके उन्हें data का कितना access देना है decide करता है।

6) Presentation Layer (प्रेजेंटेशन लेयर) in Hindi

प्रेजेंटेशन लेयर OSI model की 6th layer है। यह layer application layer से आनें वाले data को प्रस्तुत करती है।

Presentation layer द्वारा data को एक format से दुसरे format में convert किया जाता है। ऐसा तभी होता है जब दोनों sender और receiver एक format में ना हों।

इसी वजह presentation layer को translation layer भी कहा जाता है। यह layer data का syntax और semantics भी deal करती है, तभी presentation layer को syntax layer भी कहा जाता है।

इस layer द्वारा ही data encryption, data decryption, और data compress किया जाता है।

Presentation Layer के कार्य क्या होते हैं?

  • जैसा की आपको पता होगा की data को sender से receiver को send किया जाता है, लेकिन अगर sender device और receiver device code के अलग-अलग formats को समझते हों तो क्या होगा?
  • मानलीजिये की एक device ASCII code समझता हो और वहीं दूसरा device EBCDIC code समझता हो। ऐसे case में data को code में translate करना जरूरी हो जाता है, ताकि device एक दुसरे द्वारा भेजे गये data को समझ सकें।
  • Presentation layer ASCII code को EBCDIC code में translate कर सकती है और vice versa भी कर सकती है।
  • अगर sender और receiver आपस में data transmit कर रहे हैं तो यह secure भी होना जरूरी है। क्यूंकि घुसेड़नेवाला data को hack भी कर सकता है और hacker data को modify करके receiver को send कर सकता है। जिसकी वजह से गलत communication बनाया जा सकता है।
  • Data को secure करनें के लिए ही presentation layer द्वारा data encryption और data decryption का प्रयोग किया जाता है। जिसकी वजह से data leak और data modification को avoid किया जा सकता है।
  • अगर कोइ large file हो तो उसे network पर transmit करना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसा में अगर file को compress करके network में transmit करना आसान हो जाएगा। यह काम भी presentation layer द्वारा ही किया जाता है।
  • जब compress file receiver तक पहुचे गी तो उसे फिर से original file में convert करना भी presentation layer का ही काम होता है।

7) Application Layer (एप्लीकेशन लेयर) in Hindi

एप्लीकेशन लेयर Open System Interconnection (OSI) model की 7th layer है। यह user के सबसे नजदीकी layer है। जिसका मतलब यह हुआ की application layer और user software applications के साथ direct interaction कर सकते हैं।

Application layer client और server दोनों पर based होते हैं। इसका मुख्य काम वास्तविक application तथा अन्य layers के बीच interface provide करना होता है।

Application Layer के कार्य क्या होते हैं?

  • एप्लीकेशन लेयर data transfer करनें वाले applications के लिए communications partners की पहचान करती है।
  • यह layer सुनश्चित करती है की किसी request communication के लिए पर्याप्त network resources उपलब्ध हैं या नहीं।
  • Application layer द्वारा user file को remote computer द्वारा access कर सकता है।
  • इस layer द्वारा user को email forwarding और storage की सुविधा प्रदान की जाती है।
  • एप्लीकेशन लेयर में एक database होता है, जिसकी मद्द से वैश्विक जानकारी तथा अलग-अलग प्रकार की services तक पहुचा जा सकता है।

अभी तक आपनें OSI model kya hai, OSI model ka full form, OSI model in Hindi, OSI model layer in Hindi और What is OSI model in Hindi के बारे में पढ़ चुके हैं। अब हमं Advantages of OSI model in Hindi के बारे में पढनें वाले हैं।

Advantages of OSI model in Hindi | OSI model के क्या लाभ हैं?

  • यह एक general model है।
  • यह model connection और connectionless service प्रदान करता है।
  • OSI model हमें security और flexibility दोनों ही provide करता है।
  • यह model services, interfaces, और protocols को बड़िया तरीके से define करता है।
  • Network administrators को अपना network बनाने के लिए आवश्यक हार्डवेयर और सॉफ्टवेर निर्धारित करनें में सहायता करता है।
  • OSI model के कारण हार्डवेयर manufactures को ऐसा नेटवर्किंग प्रोडक्ट बनानें को प्रोत्साहित किया जाता है, जो एक दुसरे के साथ संचार कर सकें।
  • OSI model की वजह से network को बनानें की complexity कम होती है।
  • इस model को समझाना और समझना बिकुल ही आसान है।
  • OSI model के जरिये नेटवर्क administrators को नेटवर्क में आई कोइ समस्या का निवारण करनें में आसानी होती है। क्यूंकि उसे पता चल जाता है की किस layer में problem आ रही है, जिसकी वजह से issue बहुत जल्दी solve हो जाता है।

Disadvantages of OSI model in Hindi | OSI model के क्या नुकसान हैं?

  • Session और presentation layer का कुछ ज्यादा use नहीं है।
  • OSI model पहले विकसित किया गया था, उसके बाद network architecture के अनुसार protocols को तैयार किया गया था। इसकी वजह से real life में OSI model को use करनें में दिक्कत आती है।
  • यह विभिन्न services को कई बार परिभाषित करता है। जैसे की error control service transport और data-link layer दोनों में define किया गया है।
  • OSI model किसी भी layer को parallel काम करनें की अनुमति नहीं देता है। एक layer को अपनी predecessor layer से data प्राप्त होनें तक इंतजार करना पड़ता है।
  • Same काम को एक ही layer में define करनें की वजाए, यह different layers में परिभाषित करता है जिसकी वजह से complexity increase होती है।
  • कभी कभार use होनें वाले protocols और functions का summery देनें की वजाए OSI model protocols और functions को विस्तार से परिभाषित करता है। जिसकी वजह से model network administrators के लम्बा और कम useful बना देता है।

FAQ (Frequently Asked Questions)

OSI model ka full form kya hai?

OSI model ka full form Open System Interconnection होती है।

OSI model layers in Hindi कौन-कौन सी हैं?

Physical Layer (फिजिकल लेयर)
Data-Link Layer (डाटा-लिंक लेयर)
Network Layer (नेटवर्क लेयर)
Transport Layer (ट्रांसपोर्ट लेयर)
Session Layer (सेशन लेयर)
Presentation Layer (प्रेजेंटेशन लेयर)
Application Layer (एप्लीकेशन लेयर)

नेटवर्क लेयर प्रोटोकॉल का कार्य क्या है?

नेटवर्क लेयर का काम data को transmission का होता है। यह layer एक device से दुसरे device तक data को पहुँचाने का काम करती है।

निष्कर्ष

इस post में आपने जाना की OSI model kya haiOSI model ka full formOSI model in HindiOSI model के फायदे और नुसान और OSI model layer in Hindi के बारे में जाना।

अब आपको OSI model in Hindi के बारे में पूरी जानकारी हो चुकी है। आपको यह post कैसे लगी हमें comment करके जरुर बताएं। आप इस post को like और share भी कर सकते हो।

इस post को पढने की लिए आपका बहुत-बहुत धन्यबाद। आपका समय शुभ रहे। जय हिन्द जय भारत!!

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